विद्युत के लिए सुरक्षा नियम निम्न प्रकार के हैं।(The safety rules for electricity are as follows.)
विद्युत के लिए सुरक्षा नियम (Safety Rule for Electricity): कारखानों में मशीन ऑपरेटरों को विद्युत संबंधी निम्न सावधानियां रखनी चाहिए :
- विद्युत संबंधी कोई खराबी होने पर कारीगर को चाहिए कि वह इसकी सूचना अपने बड़े अधिकारी को दे।
- अल्प ज्ञान के आधार पर विद्युत संबंधी कोई खराबी कभी भी स्वयं ठीक करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। यह जानलेवा भी हो सकती है।
- यदि कोई नंगा तार या किसी चलते पार्ट पर बिजली का तार रगड़ खाता दिखाई दे तो इलेक्ट्रीशियन को बुलाकर तुरंत ठीक कराएं।
- विद्युत का मेन स्विच मशीन व ऑपरेटर के पास ही लगा होना चाहिए। यह जानलेवा भी हो सकती है।
- बिना प्लग प्रयोग किए, सीधे बिजली के तार प्लग में लगाकर मशीन को नहीं चलाना चाहिए।
प्राथमिक चिकित्सा (First Aid)
दुर्घटनाएं बिना किसी सूचना के कभी भी, कहीं भी और किसी के साथ भी घट सकती हैं। इनसे न तो हम थल पर, न जल में, और न किसी कार्यशाला में बच सकते हैं। बढ़ते हुए औद्योगीकरण और यातायात में आने वाली तेजी से दुर्घटनाओं की संख्या और विविधता में वृद्धि होती जा रही है। यद्यपि समुचित सावधानियां बरतने से दुर्घटनाओं की समस्या में कमी लाई जा सकती है परंतु यह सोचना कि दुर्घटनाओं को एकदम समाप्त किया जा सकता है, मात्र कल्पना ही होगी।
दुर्घटनाओं के दुष्परिणामों और उनकी गम्भीरता को हम प्राथमिक उपचार द्वारा कम कर सकते हैं, परंतु समुचित प्राथमिक उपचार की व्यवस्था के अभाव में कई बार घायल व्यक्ति अस्पताल तक भी जीवित नहीं पहुंच पाते। यदि वे पहुंच भी जाते हैं तो उनको शारीरिक और मस्तिष्क सम्बन्धी ऐसी क्षति पहुंच जाती है जो चिकित्सा के बाद भी ठीक नहीं हो पाती।
अनेक बार हम देखते हैं कि कोई व्यक्ति चलते-चलते या कार्यशाला में कार्य करते हुए किसी चीज के टकराने पर या बिजली के झटके से एकाएक लड़खड़ाकर गिर पड़ता है और गिरते ही बेहोश हो जाता है। साधारण तौर से परीक्षण करने पर पता चलता है की न तो उसकी नाड़ी चल रही है, न ही दिल धड़क रहा है और न ही सांस चल रही है।
ऐसी स्थिति में उसे शीघ्रातिशीघ्र प्राथमिक उपचार देना आवश्यक होता है। चिकित्सकों का कहना है कि यदि किसी व्यक्ति के दिल की धड़कन बंद हो जाने पर उसको 3 मिनट अर्थात् 180 सेकंड के भीतर पुनः चालू नहीं किया जाता तो उस व्यक्ति के मस्तिष्क को स्थायी रूप से हानी पहुंचने की आशंका रहती है, चाहे बाद में उपचार से उसकी जान बच ही क्यों न जाए।
ऐसे व्यक्ति को जो प्राथमिक उपचार दिए जाते हैं उन्हें चिकित्सक ‘बेसिक लाइफ स्पाॅट’ कहते हैं। आम बोलचाल की भाषा में उन्हें जान बचाने के लिए प्राथमिक उपचार भी कहते हैं। बेसिक लाइफ स्पॉट में तीन क्रियाएं हैं, जिन्हें अंग्रेजी के प्रथम 3 अक्षरों A,B,C से दर्शाया जाता है। A का अर्थ है ‘Airways’ अर्थात् वायुमार्ग साफ करना, B का अर्थ है ‘Breathing’अर्थात् सांस पुनः चालू करना और C का अर्थ है ‘Circulation’ अर्थात् ‘रक्त परिसंचरण’ दिल की धड़कन पुनः चालू करना।
प्राथमिक चिकित्सा (First Aid) के अलावा ध्यान देने वाली बाते
वायुमंडल में लगभग 20% ऑक्सीजन होती है जो जीवन के लिए अनिवार्य है। यदि हमारे मस्तिष्क को तीन मिनट भी ऑक्सीजन न मिले तो वह निष्क्रिय हो जाता है। वायुमंडल से मस्तिष्क और शरीर की विभिन्न कोशिकाओं तक ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए हमारे शरीर में दो महत्वपूर्ण क्रियाएं- श्वसन और रक्त-परिसंचरण होती हैं।
ऑक्सीजन श्वसन क्रिया में हमारी श्वास नली द्वारा फेफड़ों में पहुंचती है और रक्त में मिलकर परिसंचरण तंत्र द्वारा शरीर के विभिन्न अंगों को जाती है। श्वास नली, श्वसन तंत्र तथा परिसंचरण तंत्र- इन तीनों में से किसी एक में भी व्यवधान उत्पन्न हो जाने पर सांस लेने एवं रक्त-परिसंचरण में बाधा आने से मनुष्य की मृत्यु हो सकती है।
यदि वायुमार्ग, श्वसन तंत्र और परिसंचरण तंत्र में उत्पन्न इस व्यवधान को 3 मिनट की अवधि के अंदर ही हटा दिया जाए तो मृतक व्यक्ति को पुनः जीवन मिल सकता है। निश्चय ही सांस लेने में रुकावट से आदमी बेहोश तो हो सकता है परन्तु बेहोश व्यक्ति को सांस लेने में रुकावट नहीं होती।
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