Personal Protective Equipments: वैयक्तिक रक्षक निम्नलिखित है।

वैयक्तिक रक्षक उपकरण (Personal Protective Equipments; PPEs)

कार्यशाला एक ऐसा क्षेत्र है जहां पर तमाम सतर्कता और साफ-सफाई के बावजूद अपशिष्ट पदार्थ यत्र-तत्र पड़े रह जाते हैं और इनके अतिरिक्त भी व्यक्तिगत सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए वैयक्तिक रक्षक उपकरणों (PPEs) के प्रयोग की संस्तुति की जाती है। PPEs वे साधन हैं जो विविध रूपों में मानव शरीर की आवरण के रूप में रक्षा करते हैं। इनके अंतर्गत हैलमेट, चश्मा, ऐप्रन व जूतों और दस्तानों जैसे साधनों का समावेश किया जाता है। ये मानव शरीर की रक्षा में सहायक साधन हैं।

वैद्युतिक मेंस का सुरक्षित प्रचालन (Safety Operation of Electrical Mains)

विश्व भर में आवासीय एवं व्यावसायिक विद्युत उपकरणों के साथ ही प्रकाश के लिए विभिन्न प्रकार की वैद्युतिक मेंस पावर प्रणालियां प्रयुक्त की जाती हैं, जिन्हें सामान्य भाषा में वैद्युतिक मेंस कहा जाता है। इन प्रणालियों में विभिन्न अभिलक्षण सम्मिलित होतेे हैं; जैसे-वोल्टेज, आवृत्ति (फ्रीक्वेंसी) प्लग एवं सॉकेट, अर्थिंग प्रणाली, अतिधारा सुरक्षा, धारा की प्रकृति (दिष्ट धारा-डी.सी. अथवा प्रत्यावर्ती धारा ए.सी.) एवं फेज संख्या (एकल फेज अथवा त्रि फेज)। इनमें वोल्टेज की सामान्य परास 100-240 वोल्ट होती है तथा फ्रीक्वेंसी 50Hz/60Hz होती है।

अधिकतर सभी देशों में आवासीय क्षेत्रों के लिए एकल फेज वैद्युतिक पावर एवं औद्योगिक/व्यावसायिक क्षेत्रों के लिए त्रि-फेज वैद्युतिक पावर प्रयुक्त की जाती है जिनमें फेज तार, न्यूट्रल तार एवं अर्थ तार का प्रयोग किया जाता है। वैद्युतिक पावर हमारे लिए उपयोगी होने के साथ-साथ खतरनाक भी होती है। इसलिए इसका प्रचालन सुरक्षित तरीके से संपन्न किया जाना आवश्यक है क्योंकि 50 वोल्ट प्रत्यावर्ती धारा (ए.सी.) एवं 120 वोल्ट दिष्ट धारा (डी.सी.) वोल्टेज से अधिक वोल्टेज दुर्घटना का कारण बन सकती है। अधिकतर वैद्युतिक दुर्घटनाएं उपकरण को दोषी समझकर उसे विद्युत से संयोजित करके कार्य करने के कारण घटित होती हैं।

Personal Protective Equipments: वैयक्तिक रक्षक निम्नलिखित है।
Personal Protective Equipments: वैयक्तिक रक्षक निम्नलिखित है।

प्रशिक्षु को हमेशा अचालक कवरयुक्त वैद्युतिक मेंस पावर लीड का प्रयोग करना चाहिए तथा वह किसी भी से कटी-फटी नहीं होनी चाहिए। इसके साथ ही विद्युत प्रचालित उपकरणों को नंगे हाथों अथवा इंसुलेशनरहित औजारों से नहीं छूना चाहिए। वैद्युतिक पावर प्लांटों में कार्य करने वाले व्यक्तियों को अपने साथ-साथ, अन्य लोगो एवं मशीनरी की भी सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए। कभी भी वैद्युतिक मेंस से संयोजित तार पर पैर नहीं रखना चाहिए।

इसके अतिरिक्त मेंस पावर सप्लाई से तारों को संयोजित करते समय उनकी विशिष्टता को ध्यान में रखना चाहिए। प्रशिक्षु को मेंस से संयोजित सभी उपकरणों को उचित परास एवं मानक सॉकेट आउटलेटों में ही लगाकर प्रचालित करना चाहिए। इन सभी बातों का ध्यान रखकर प्रशिक्षु स्वयं के साथ-साथ अन्य की सुरक्षा करते हुए वैद्युतिक मेंस का सुरक्षित एवं सफल प्रचालन कर सकता है।

मशीन विशेष के सुरक्षा नियम (Safety Rules For a Particular Machine)

उपरोक्त सुरक्षा नियमों के अतिरिक्त कारीगर को कुछ अन्य सुरक्षा नियमों का भी पालन करना पड़ेगा। ये सुरक्षा नियम मशीन विशेष के लिए अपनाने पड़ते हैं। कुछ मशीनों पर अपनाए जाने योग्य सुरक्षा नियम अग्र प्रकार हैं

हस्त औजारों के लिए सुरक्षा नियम (Safety Rule for Hand Tools)

हस्त औजारों के प्रयोग में निम्न सावधानीयां रखनी चाहिए

  1. जिन हस्त औजारों में दस्ता लगा होता है उन्हें बिना दस्ते के प्रयोग में न लाएं। दस्ता फटा हुआ प्रयोग न करें, अन्यथा हाथ में चोट लगने का डर रहता है।
  2. वाइस के जबरे (Jaws) वाइस में ढीले नहीं होने चाहिए।
  3. फाइल से किसी चीज को पीटना नहीं चाहिए, क्योंकि यह टूटकर किसी को लग सकता है।
  4. पेंचकस को जहां तक संभव हो सीधा ही प्रयोग करना चाहिए। पेंचकस के स्थान पर कभी भी फुट-रूल का प्रयोग न करें।
  5. हथौड़े के हैण्डिल या फेस पर कोई चिकनाई नहीं लगी होनी चाहिए क्योंकि सिल्प होकर स्वयं को या किसी अन्य को चोट पहुंचा सकता है।
  6. मशरूम हैड का हथौड़ा या छैनी प्रयोग में नहीं लेना चाहिए क्योंकि इससे कोई टुकरा टूटकर लगने का डर रहता है।
  7. छेनी से चिपिंग करते समय उसकी धार पर निगाह रखनी चाहिए वह छिटक कर हानि पहुंचा सकती है।
  8. स्पैनर से नट या बोल्ट को खोलते समय पाइप का प्रयोग न करें। स्पैनर सही साइज का प्रयोग करें। बड़े साइज का प्रयोग करने से उसके स्लिप होने का डर रहता है तथा नट या बोल्ट का हैड गोल हो सकता है।
  9. पेंचकस का प्रयोग करते समय जॉब को हाथ से पकड़कर जोर नहीं लगाना चाहिए। पेंचकस स्लिप होकर हाथ में घुस सकता है।
  10. हैक्साॅ में ब्लेड सही कसा होना चाहिए। अधिक कसा या ढीला ब्लेड जल्दी टूट जाता है और अचानक टूटने के कारण चोट भी लग सकती है।

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