When is first aid needed: प्राथमिक चिकित्सा का समय से मिलाने के फ़ायदा
एक वयस्क के शरीर में आमतौर पर 6 लीटर रक्त होता है। इनमें से अधिक किसी कारणवश 1 लीटर रक्त निकल जाता है तो स्थिति चिंताजनक हो सकती है। बच्चे के शरीर से 500 मिली खून का निकल जाना भी उसके लिए घातक हो सकता है।
आमतौर से इतना अधिक रक्त बहने से बाहरी प्रभाव स्पष्टत: दिखाई देने लगता है और पीड़ित व्यक्ति के चेहरे पर सदमा दिखाएं देने लगता है। ऐसी स्थिति में चोटग्रस्त को प्राथमिक चिकित्सा देना अनिवार्य होता है। आगे बाहरी रक्तस्राव को रोकने की कुछ विधियां बताई गई है।
ब्राह्म रक्तस्राव (Extemal Bleeding)
ब्राह्म रक्तस्राव नकसीर छूटने से अस्थि-भंग से, किसी अंग के कट जाने, ठोकर लगने आदि जैसे खुले घावों से होता है। अधिकांश परिस्थितियों में 6 से 10 मिनट के अंदर रक्त के थक्के बनने लगते है, जिससे खून बहना स्वत: ही बंद हो जाता है। खून जमने की क्रिया से क्षतिग्रस्त वाहिका कटे हुए या चोटग्रस्त सिरे पर संकुचित हो जाती है, जिससे खून बहना बंद हो जाता है। खून बिम्बाणु (प्लेटलेट) और फाइव्रिन के संयोजन से जमता है जिसे थक्का बनना कहते हैं। छक्का आकार में बढ़कर क्षतिग्रस्त भाग को बंद कर देता है। यदि कोई बड़ी रक्तवाहिका कट-फट जाती है तो थक्क स्वत: ही इसका प्रतिरोध करता है।
कभी-कभी रक्तवाहिका का केवल एक भाग ही फटता है। उस समय वाहिका भीन्ति न तो फैलती है, न संकुचित होती है। ऐसी स्थिति में प्राथमिक उपचार द्वारा ही खून बहना रोकना चाहिए। कभी-कभी खून तेजी से बहता है। ऐसे समय में यदि रक्तस्राव बंद होने का इंतजार ही करते रह जाएं तो थक्का बनने की सामान्य क्रिया होने से पहले ही अत्याधिक रक्त बह जाने के कारण रोगी की मृत्यु तक हो सकती है।
नियंत्रण (Control)
ब्राह्म रक्तस्राव को रोकने की निम्नलिखित विधियां हैं
- घाव के ऊपर हाथिया अंगुलियों के अथवा घाव पर पट्टी बांधकर (प्रेशर ड्रेसिंग) सीधे या स्थानीय दबाव डालकर यह विधि रक्तस्राव को रोकने के लिए सर्वाधिक प्रभावकारी पाई गई है। घाव के चारों ओर कसकर कपड़ा लपेटने से रक्तस्राव वाले स्थान पर दबाव अच्छी तरह पड़ता है। यदि इसके बावजूद भी खून बहना बंद नहीं होता है तो घाव पर पट्टी बांधनी चाहिए। इस बारे में एक बात पर ध्यान दें की घाव पर ज्यादा दबाव नहीं डालना चाहिए। घाव पर हाथ से धीरे-धीरे दबाव डालना चाहिए और घाव पर पैड रखते जाना चाहिए।
- दाब स्थान (प्रेशर प्वाॅइण्ट) नियंत्रण उन परिस्थितियों में जहां प्रेशर ड्रेसिंग उपलब्ध नहीं है या रक्तस्राव नहीं रुक पाता, उस समय जरूरत पढ़ने पर रक्तस्राव कम करने या रोकने के लिए घाव की समीपस्थ धमनी पर दबाव डाला जा सकता है।
- टूर्नीकेट असामान्य परिस्थितियों के घाव पर ‘टूर्नीकेट’ पट्टी बांधनी चाहिए। यह एक विशेष प्रकार की पट्टी होती है। यह अत्यधिक कसकर बांधी जाती है। पट्टी कसने के लिए पट्टी की दो तहों के बीच पेंसिल जैसी वस्तु फंसाकर उसे दो-तीन बार घुमा दिया जाता है।
सामान्य परिस्थितियों में इसका प्रयोग नहीं किया जाता लेकिन सांप के काटने जैसी दुर्घटनाओं में, जिनमें विष आदि फैलने की संभावना अधिक होती है, टूर्नीकेट का उपयोग जरूरी होता है।
इस बारे में यह जानकारी आवश्यक है कि किटूर्नीकेट आमतौर से आधे घंटे से अधिक समय तक नहीं कसी रहनी चाहिए। आत: इसके लिए टूर्नीकेट बांधने का समय नोट कर लेना आवश्यक है। आमतौर से यह समय दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति के माथे पर लिख दिया जाता है।
- चोड़ी-से-चोड़ी पट्टी का प्रयोग करें।
- तार जैसी कोई वस्तु, जिससे त्वचा कटने का डर हो, उपयोग नहीं करनी चाहिए।
- चिकित्सक के आने तक टूर्नीकेट को खोलना नहीं चाहिए।
- टूर्नीकेट को पट्टी से ढकना नहीं चाहिए।
- घुटने और कोहनी के नीचे तथा बिल्कुल त्वचा के साथ टूर्नीकेट कभी नहीं बांधना चाहिए क्योंकि इसके दबाव से तंत्रिकाएं नष्ट हो शक्ति है।
- My YouTube Channel Home Page :- Click Here
- Naukri Tips Home Page :- Click Here