Measurement and Measuring Instruments

माप-तौल एवं मापक उपकरण (Measurement and Measuring Instruments)

नियंत्रण (Control): आंतरिक रक्तस्राव पर नियंत्रण स्राव के स्थान और कारणों पर निर्भर करता है। पैर में होने वाले आंतरिक स्राव को घटनास्थल पर ही केवल साधारण पट्टी बांधकर नियंत्रित किया जा सकता है। अन्य रक्त में स्थित तरल पदार्थ प्लाज्मा के अंदर एंटीबॉडी ‘ए’ तथा एंटीबॉडी ‘बी’ मौजूद होती है। किन्हीं भी स्थितियों में आंतरिक स्राव होने पर रोगी को शीघ्रतिशीघ्र अस्पताल पहुंचाना श्रेयस्कर होता है।

परिचय (Introduction)

हमें किसी वस्तु का अनुमान अपनी ज्ञानेंद्रियों के द्वारा होता है; जैसे-आंख से देखकर हम किसी वस्तु के रूप, रंग, आकार व फैलाव को तथा हाथ से छूकर उसके कठोरपन , ठंडे या गर्म होने का अनुमान लगा सकते हैं। इसी प्रकार हम वस्तुओं के विषय में केवल तुलनात्मक अनुमान ही लगा सकते हैं परंतु यह आवश्यक नहीं है कि हमारा अनुमान सही या सटीक ही हो।

अगर एक-सी आकृति की दो वस्तुएं, छोटी तथा बहुत बड़ी देखें, तो आप अवश्य ही ठीक अनुमान लगा सकते हैं कि इन दोनों में कौन-सी वस्तु  छोटी तथा कौन-सी बड़ी है परंतु यदि दोनों वस्तुएं लगभग समान आकार की हैं तो उनमें बिना माप-तोल के छोटे-बड़े की पहचान करना कठिन है। इसलिए यह बात स्पष्ट है कि परिमाणात्मक ज्ञान के लिए माप-तोल अति आवश्यक है।

मात्रक (Unitys)

हम प्रत्येक राशि की माप के लिए एक मानक (standard) मान लेते हैं, जिसके आधार पर उस राशि की माप की जाती है। इस मानक को ही मात्रक (unit) कहते हैं। इसी के द्वारा हम एक-दूसरे के कथन को समझ सकते हैं। यदि हम किसी कारीगर को यह कहें कि हमारी मशीन की लंबाई 5 छड़ी हो तो यहां यह बात लागू होगी कि मशीन बनाने वाले को आपकी छड़ी की लंबाई ज्ञात हो या अपनी और आपकी छड़ी के बीच में अनुपात ज्ञात हो। अन्यथा मशीन की सही लंबाई आवश्यकतानुसार वह नहीं बता सकेगा। अतः किसी भी राशि के विषय में पूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए दो बातों का ज्ञान होना आवश्यक है

  1. मात्रक
  2. संख्यात्मक मान
  • मात्रक

मात्रक हम उसे कहते हैं जिसमें वह राशि मापी जाती है।

  • संख्यात्मक मान

संख्यात्मक मान के अंतर्गत हम उस राशि के परिणाम को प्रदर्शित करते हैं अर्थात् यह बताया जाता है कि उस राशि में उसका मात्रक कितनी बार सम्मिलित है।

भिन्न-भिन्न प्रकार की राशियों की माप के लिए अलग-अलग मात्रकों की आवश्यकता होती है। व्यावहारिक रूप में सभी राशियों के मात्रक लंबाई (length), भार (weight), समय (time) पर आधारित हैं। ये तीनों मात्रक एक-दूसरे से प्राप्त नहीं किए जा सकते। अतः इन्हें मूल मात्रक (Fundamental Unit) कहते हैं। अन्य सभी राशियों; जैसे-क्षेत्रफल, आयतन, घनत्व, बल, कार्य इत्यादि; के मात्रक दो या अधिक मूल मात्रकों में व्यक्त किए जा सकते हैं। इन्हें व्युत्पन्न इकाई (derived unit) कहते हैं।

हमारा औद्योगिक कार्य से वास्ता होने के नाते लंबाई, भार तथा समय से अधिक संपर्क रहता है, इसलिए इनके संबंध में मौलिक सिद्धांतों एवं मात्रक पद्धतियों (system of units) का जानना आवश्यक है जो निम्न प्रकार के हैं

FPS प्रणाली FPS System

इसे ब्रिटिश प्रणाली भी कहा जाता है। इसमें लंबाई, भार तथा समय की इकाइयां (units) क्रमश:, फूट (foot), पाउण्ड (pound) तथा सेकंड (second) होती हैं। अंग्रेजों (ब्रिटिश) के समय में हमारे देश में यही प्रणाली प्रचलित थी। इस प्रणाली में लंबाई की सबसे बड़ी यूनिट मिल होती है, जिनको निम्न प्रकार बांटा गया है

  • 1 मिल=1760 गज,
  • 1 गज=3 फूड,
  • 1फूट=12 इंच,
  • 1 इंच=8 सूत तथा
  • 1 सूत=8 चूल।

ब्रिटिश प्रणाली में जॉब को मापते समय सूत के अंशों (1/3,1/32; 1/64) का प्रयोग अधिकतर किया जाता है, जिसका वितरण निम्न प्रकार है

  • 8 के अंक के ऊपर जो अंक होता है उतने ही सूत यह माप देती है
  • यदि 16 के अंक के ऊपर कोई अंक है तो उस अंक का आधा करने पर सूत मैं मां प्राप्त हो जाती है
  • यदि 32 के अंक के ऊपर कोई अंक है तो अंक को 4 से भाग देने पर सूत में माप प्राप्त होती है
  • यदि 64 के अंक के ऊपर कोई अंक है तो उस अंक को 8 से भाग करने पर सूत में माप प्राप्त होती है।

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