आपातकालिक प्रक्रियाएं

आपातकालिक प्रक्रियाएं निम्न है।

नशे की आदत (Toxication)

बहुत से कारीगर नशे की आदत के शिकार हो जाते हैं तथा कभी-कभी नशे की अवस्था में ही कारखाने में चले जाते हैं। ऐसे कारीगर स्वयं तो दुर्घटना के शिकार होते ही हैं, साथ ही दूसरों के लिए भी खतरा हो सकते हैं।

आपातकालिक प्रक्रियाएं (Responses to Emergencies)

औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में कार्यशाला एक ऐसा कार्य-क्षेत्र है जहां पर प्रति क्षण विविध प्रकृति के प्रक्रम चलते रहते हैं। इनके दौरान ऐसी स्थितियां समय-समय पर उत्पन्न होती हैं जो कार्य-व्यवधान जैसी अवस्था बना देती हैं। ऐसे में अनुदेशकों/प्रशिक्षुओं को तुरत बुद्धि से काम लेते हुए ऐसी आपातकालिक स्थितियों के विरुद्ध त्वरित प्रक्रिया कर कार्य को सुचारु रखने की दिशा में कार्य करना होता है। आपातकालिक स्थितियों की श्रेणी में शक्ति या प्रणाली की विफलता या फिर आग लगने जैसी घटनाओं को रखा जा सकता है। ऐसी अवस्था में प्रशिक्षुओं की तुरत प्रतिक्रियाएं अवस्था-विशेष के अनुसार निम्न हो शक्ति हैं।

आग पकड़ना (Fire Catching)

कार्यशाला में कुछ प्रक्रम संवेदनशील प्रकृति के भी होते हैं जिसके कारण आग लग सकती है। ऐसे में हमारी प्रतिक्रिया निम्नानुसार होनी चाहिए।

  1. ठंडे दिमाग से कुछ क्षण आग के कारण को जानने में दें ताकि उपयुक्त तरीके से आपातकालिक स्थिति का निवारण संभव हो सके।
  2. इस अवस्था में फायर ब्रिगेड व उच्चाधिकारियों को तत्काल सूचित करें।
  3. कार्यशाला में उपलब्ध अग्निशामक यंत्रों का तुरंत प्रयोग कर आग को नियंत्रित करने का प्रयास करें।
  4. अग्नि का कारण विद्युत होने की दशा में पानी का प्रयोग कदापि न करें।
महत्वपूर्ण आपातकालिक प्रक्रियाएं
आपातकालिक प्रक्रियाएं

शक्ति विफलता (Power Failure)

कार्यशाला में विद्युत शक्ति की विफलता सामान्य आपातकालिक स्थिति है। इस दौरान हमारी प्रतिक्रिया निम्नानुसार होनी चाहिए।

  1. कार्यशाला का मेन स्विच तत्काल बंद कर दें।
  2. इस आपातकालिक स्थिति के कारण को जानने का प्रयास करें।
  3. आपातकालिक स्थिति के लिए उत्तरदायी कारण असामान्य होने की दशा में उसका उचित निवारण करने के उपरांत ही विद्युत आपूर्ति सुचारु करें।
  4. इस प्रतिकूल अवस्था में भी धीरज व संयम न‌ खोएं।

प्रणाली विफलता (System Failure)

प्रणाली विफलता किसी कार्यशाला के तंत्र में उत्पन्न आकस्मिक व्यवधान है जिससे उसकी कार्य-प्रणाली बाधित होकर कार्य की निरंतरता प्रभावित कर देती है। ऐसी दशा में निम्नानुसार प्रतिक्रिया होनी चाहिए।

  1. सक्षम अधिकारी को सूचित कर स्वयं भी कारण को जानने का प्रयास करें।
  2. कार्यशाला प्रणाली से संबंध मशीनों एवं उपकरणों को तत्काल अक्रिय (Inactive) कर दें।
  3. प्रणाली से संबंध व्यवस्था की उपयुक्त तरीके से जांच करें और दोष मिलने पर तत्काल निदान कर दें।
  4. सक्षम अधिकारी के आने तक धीरज व संयम बनाए रखें और अधीनस्थों को किसी भी प्रकार विचलित न होने दें।

सुरक्षा संकेत (Safety Symbols)

प्रशिक्षण काल में ही कारीगर को कारखानों में सुरक्षा के लिए उठाए गए विभिन्न कदमों नियमों तथा उपायों जानकारी दी जाती है। विभिन्न मशीनों पर तथा स्टोरों आदि की दीवारों पर विभिन्न निर्देश (Cautions) संकेतों के रूप में लगाए (लिखे) जाते हैं। इससे उन स्थानों पर प्रवेश करने से पूर्व कुछ विशिष्ट सुरक्षा उपकरणों या नियमों का पालन करना पोता है।

सुरक्षा संकेत चार प्रकार के होते हैं

  1. निषेधात्मक संकेत (Prohibition Symbols),
  2. अनिवार्य संकेत (Mandatory Symbols),
  3. चेतावनी संकेत (Warning Symbols),
  4. सूचनात्मक संकेत (Informational Symbols)।

निषेधात्मक संकेत (Prohibition Symbols)

वृत्त के आकार के ये संकेत लाल रंग के बॉर्डर तथा क्रॉस बार और सफेद बैक-ग्राउंड पर काली आकृति द्वारा बनाए जाते हैं। इनके द्वारा विशेष प्रकार के कार्य करने को मना (निषिद्ध) किया जाता है।

अनिवार्य संकेत (Mandatory Symbols)

इन संकेतों के द्वारा कारीगरों को सुरक्षात्मक निर्देश दिए जाते हैं और कारीगर इन संकेत को सहज समझ लेते हैं। ये संकेत नीली पृष्ठभूमि (Blue Background) पर सफेद संकेत द्वारा वृत्त के आकार में बने होते हैं।

चेतावनी संकेत (Warning Symbols)

ये संकेत त्रिभुजाकार के पीली पृष्ठभूमि (Yellow Background) पर काले चित्र बनाकर प्रदर्शित किए जाते हैं। इन चित्रों के माध्यम से चेतावनी दी जाती है।

Spread the love

Leave a Comment

Scroll to Top