Trade Introduction and Safety Precautions: ट्रेड परिचय एवं सुरक्षा सावधानियां
परिचय (Introduction): वर्तमान युग मशीनों का युग है। पहिए के रूप में औद्योगिक क्रांति प्रारंभ होकर सेमी-ऑटोमाइजेशन(Semi-Automisation),ऑटोमाइजेशन तथा अब कंप्यूटराइजेशन के युग तक आ पहुंची है। औद्योगिक संस्थानों में अनेक प्रकार के व्यावसायिक कार्य होते हैं। इन कार्यों को करने हेतु कुशल मानव-श्रम की आवश्यकता होती है। कुशाल मानव-श्रम मशीनों का यथोचित संचालन करने में सक्षम होता है। प्रस्तुत पुस्तक ऐसे ही कुशल मानव-श्रम को तैयार करने के उद्देश्य से लिखी गई है। कुशल मानव-श्रम निर्माणशाला में प्रयुक्त होने वाले विभिन्न औजारों तथा मशीनों के कुशलतापूर्वक संचालन में सक्षम होता है।
राष्ट्र औद्योगिक विकास में भूमिका (Role in Industrial Development of the Nation)
विश्व की उभरती अर्थव्यवस्था से स्पष्ट है कि वर्तमान समय में दुनिया के वही देश अग्रणी हैं जिन्होंने सर्वप्रथम औद्योगिक क्षमता अर्जित की। स्वतंत्रता-प्राप्ति के पश्चात हमारे देश ने इस दिशा में पूरा ध्यान दिया तथा अभूतपूर्व सफलता अर्जित की। आज हमारा देश न केवल अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति कर रहा है वरन् ब्रिटेन, अमेरिका तथा जापान जैसे विकसित देशों को दक्ष मानव-श्रम और विभिन्न वस्तुओं का निर्यात भी कर रहा है। अतः स्पष्ट है कि किसी राष्ट्र के विकास में औद्योगिक विकास का अति महत्वपूर्ण योगदान होता है।
विषय के आलोक में दक्षता-स्तर (Effciency Level in Enlightenment of Subject)
किसी भी क्षेत्र में विषयों की योजना निश्चित उद्देश्यों को ध्यान में रखकर की जाती है। उद्देश्य-पूर्ति की यह जटिल परंतु मानव-श्रम दक्षता के लिए सरल प्रक्रिया है। विषयगत पाठ्य-वस्तु का अध्ययन मानव-श्रम में रुचि जाग्रत करने के साथ-साथ कौशल का विस्तार भी करता है। यदि मानव-श्रम पढ़कर सीखने का अनुसरण करने लगता है तो उसे अपना ध्येय सरलता से पूरा होता प्रतीत होता है। कार्यशाला के विविध चरणों को समझना और विविध उपकरणों-औजारों की सहायता से प्रक्रिया को समझना ही मानव-श्रम का उत्साहवर्द्धन कर देता है तथा धीरे-धीरे और मजबूती के साथ उसके दक्षता-स्तर में वृद्धि होती जाती है सामान्यता पाठ्यक्रम में विषयों के समावेश का अंतिम उद्देश्य भी होता है।
निर्देशिका से आत्मसात्मीकर (Familiarisation with Manual)
औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (ITIs) देश भर में स्थापित शिक्षा के ऐसे केंद्र हैं जहां पर विविध विषयों/ट्रेडों से संबद्ध उच्च कोटि के तकनीशियनों को तैयार किया जाता है। इनमें शिक्षण की व्यवस्था बेहद सुनियोजित है और इस ही क्रम में ‘फिटर’ ट्रेड के लिए भी अध्ययन केन्द्रों के लिए निर्देशिका (Manual) की व्यवस्था होती है जिसमें संस्थान में होने वाली विविध प्रकार की गतिविधियां गतिविधियों से नवीन आंगतुक प्रशिक्षुओं को जोड़ने की दिशा में दिये गए निर्देश/सुझाव संकलित होते हैं।
इसके अतिरिक्त परीक्षण संस्थान की विविध गतिविधियों का ज्ञान वहां के नियमित कार्य-विवरण से उपलब्ध हो जाता है। परीक्षण संस्थानों में समय-समय पर क्योंकी विविध प्रकार किस्म की गतिविधियां संपन्न होती रहती हैं। अतः उनके लिए भंडारण (Storage) की भी आवश्यकता होती है जिसको संस्थान की प्रचलित विधियों के अंतर्गत भंडारित किया जाता है। ऐसे में प्रशिक्षुओं के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि वे समय-समय पर मिलने वाले भंडारण संबंधित निर्देशों को ध्यान में रखें। यह ही नवीन प्रशिक्षुओं का संस्थान के साथ आत्मसात्मीकरण कहा जा सकता है।
व्यवहार कुशलता एवं इसकी उपयोगिता (Soft Skills and its Utility)
किसी भी ट्रेड में दक्षता अर्जित कर लेना ही पर्याप्त नहीं है उसके साथ-साथ व्यवहारिक कुशलता वह गुण है जो प्रशिक्षण उपरांत किसी भी प्रशिक्षु को सफलता की ऊंचाइयों से रूबरू करा देने में सक्षम होता है। व्यवहार कुशलता वास्तव में प्रशिक्षु द्वारा स्वविवेक से अपने में उत्पन्न किया गया वह गुण है जो उसके व्यवहारिक जीवन में कभी भी-कहीं भी संपर्क में आने वाले व्यक्ति पर 1 मिनट छाप छोड़ देता है और व्यवहार कुशल के साथ तकनीकी कौशल संयुक्त होकर प्रशिक्षु को एक कामयाब तकनीशियन का स्तर प्रदान कर सकता है।
‘फिटर’ ट्रेड में दक्ष तकनीशियन के यदि कार्य को ही इंगित किया जाए जो सामान्य रूप से यह तकनीशियन पाइप, मशीन एवं बेंच फिटिंग जैसे कार्यों को अंजाम देने में सक्षम हो जाता है। वर्तमान में उद्योमों की बढ़ती संख्या और औद्योगिक इकाइयों के विस्तार जैसी गतिविधियों के निरंतर जारी रहने के कारण प्रशिक्षुओं के लिए प्रशिक्षण उपरांत पर्याप्त मात्रा में अवसर सुलभ हैं। व्यवहार कुशल फिटर अपनी कार्य-दक्षता के आधार पर अपने लिए व्यापक आजीविका का प्रबंधन कर सकने में सक्षम हो सकता है।
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